!! द्वादशं ज्योतिर्लिङ्गानि (संस्कृत में) !!
Kedarnath |
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् |
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम् |
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ||२||
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्रयम्बकं गौतमीतटे |
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ||३||
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायंप्रातः पठेन्नरः |
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ||4||
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भगवान शंकर के इस 12 (द्वादश) ज्योतिर्लिंगों का स्मरण प्रत्येक दिन जो कोई भी सांय अर्थात संध्या के समय व प्रात निष्काम भाव से करता है, उसके सात जन्म तक किये हुए पापों का का विनाश भी इस स्त्रोत्र का स्मरण करते ही ही हो जाता है । और उस भक्त के सब पाप नष्ट होकर उसको सर्व सिद्धि को प्राप्त होती है ।
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