संकट की स्थिति में निवारण हेतु
Lord Hanuman |
हनुमान जी को संकट या विपदा में सर्वप्रथम याद किया जाता है, क्योकि इन्हीं कि कृपा से संकट पल भर में दूर हो सकता है, ऐसा तुलसीदास जी ने कहा था कि :-
संकट ते हनुमान छुडावे |
मन क्रम वचन ध्यान जो लावे | |
और
संकट कटे मिटे सब पीरा |
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा ||
मंत्र इस प्रकार से है :-
In Hindi:-
दीन दयाल बिरद संभारी | हरहु नाथ मम संकट भारी ||
In English:-
Deen Dayal Birad Sanbhari | Harhu nath Mam Sankat Bhari ||
अर्थात :- यह मंत्र गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित महाग्रंथ रामचरितमानस से उदृत है और यह मंत्र माता सीता से हनुमान भेंट प्रसंग में आता है |
जिस समय हनुमान जी माता सीता से वापस जाने की आज्ञा लेते है तब माता सीता उनसे कहती है कि – हे ! रामदूत हनुमान, आप जाकर अपने प्रभु श्रीराम से कहना कि, हे दीन दुखियों के पीड़ा को हरने वाले, आप तो सारे संसार की पीड़ा को हर कर उनका कल्याण करते हो, तो हे नाथ आज मुझ पर बहुत बड़ा कष्ट आन पड़ा है और मेरी इस पीड़ा को भी हर लो और मेरा भी कल्याण करो |
अत: यह मंत्र संकट की दशा में रामबाण का काम करता है | साधक को चाहिए की इस मंत्र को हनुमान और सीताराम (रामदरबार) की छवि का समरण करते हुए जप करे | ऐसा करने से आपके सभी संकटों का निवारण होगा |
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