Tuesday, 19 November 2013

beejakshara mantra Hanuman Vandana (Hanuman Stuti)

  !! हनुमान वंदना !!

Lord Hanuman
मनोजवं मारुततुल्यवेगं, 
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, 
श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये ||1||

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् |
सकलगुणनिधानंवानरणामधीशं, 
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि: ||2||

यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं,
तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम् |
वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं,
मारुतिम् नमत राक्षसान्तकम ||3||


भावार्थ:-मन के समान वेग वाले, मारुत(पवन) के समान गति वाले, जितेन्द्रियं अर्थात जिसने अपनी इन्द्रियों को जीता हुआ हो (इन्द्रियों को वश में कर लिया हो), बुद्धिमानों में श्रेष्ठ, वायुदेव के पुत्र, वानरों के दलनायक, और श्रीराम के दूत हनुमानजी को मैं प्रणाम करता हूँ | और उनकी शरण में जाता हूँ ||१||

अतुल्य अर्थात अतुलित बल के धनी, हिम की चट्टान के जैसी देह (शरीर) वाले, दानवों को नष्ट करने वाले, ज्ञानियों में अग्रणी, सकल गुणों से युक्त वानरों के शिरोमणि, रघुपति श्री रामचंद्र के प्रिय भक्त श्री हनुमानजी को मैं प्रणाम (नमन) करता हूँ ||२||

जहाँ जहाँ श्रीरघुनाथ (श्री राम) का कीर्तन या कथा होती है वहाँ वहाँ आप का निवास होता है, और राक्षसों का अंत करने वाले भगवन मारुतिनंदन को मै बारम्बार प्रणाम करता हूँ ||३||

Click Here to watch the video of "Hanuman-Vandana" 

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