Thursday, 14 November 2013

beejakshara mantra Dwadash Jyotirlinga Strotram (In Hindi)


द्वादशं ज्योतिर्लिङ्गानि (हिंदी में)

Shiv Temple
सोमनाथ सौराष्ट्र में, काशी में विश्वेश |
महाकाल उज्जैन में, शिवालय घुश्मेश ||


भीमशंकर डाकिनी, सेतुबंध रामेश |
त्रयम्बकं गोमती तीर पर, दारुकवन नागेश ||

मल्लिकार्जुन श्रीशैल पर, हिमगिरी पर केदार |
चिता भूमि स्थान में वैद्यनाथ भवहार ||


ओंकार ममलेश्वर में रेवातट दोए नाम |
द्वादशज्योर्लिंग को सदा करूँ प्रणाम ||


श्रद्धा सहित जो ध्यावही निशदिन में दो बार |
सर्वपाप से मुक्त हो, पावे सिद्दी अपार ||

भगवान महादेव के इस द्वादश स्त्रोत्र को जो कोई भी भक्त पूर्ण श्रद्धा से ओर निष्काम भाव से प्रयेक दिन सुबह व शाम को भजता है या स्मरण करता है वह सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है, व शिव भक्तों को चाहिये कि प्रत्येक सोमवार को काशी की तरफ मुख कर इस स्त्रोत्र का जाप करे व इस स्त्रोत्र निरन्तर जाप करने से सर्वसिद्धि की प्राप्ति होती है |

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