गोपाल कृष्ण मंत्र (श्रीकृष्ण स्तुति)
भगवान श्री कृष्ण की स्तुति और आराधना से सारे पाप धुल जाते है और सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है तथा इस बात को सिद्ध करने हेतु प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है कि प्रभु सबकुछ करने में सक्षम है |
भगवान कृष्ण की इस स्तुति को संध्याकाल में श्रीद्धाभाव से कारण चाहिए और आपने जीवन को आनन्दित बनाना चाहिए |
In Hindi:-
कस्तुरी तिलकं ललाटपटले वक्षःस्थले कौस्तुभं
नासाग्रे वरमौक्तिकं करतले वेणु करे कङ्कणम् |
सर्वाङ्गे हरिचन्दनं सुललितं कंठे च मुक्तावली:
गोपस्त्रिपरिवेष्टितो विजयते गोपालचूडामणि: ||
In English:-
Kasturi Tilakam Lalatpatle Vakshsthale Koustubham
Nasagre Varmouktikam Kartale Venu Kare Kankanam |
Sarvange Harichandanam Sulalitam Kanthe Cha Muktavali:
Gopstripariveshtito Vijayate GopalChudamani: ||
भावार्थ:-जिनके सिर पर कस्तूर का तिलक हो, और वक्ष स्थल पर कौस्तुभमणि हो, नाक के अग्र भाग में उत्तम मोती हो, हाथ में मुरली हो व हाथों में कंगन धारण किये हुए हो | सारे शरीर पर सुगंधित चन्दन का लेप करने वाले, और गले में मोतियों कि माला हो, जिन पर गोपियाँ लिपटी हुयी हो, गोपालों में श्रेष्ठ ऐसे श्रीकृष्ण कि सर्वदा विजय हो |
मंत्र उपयोग:-यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण की वंदना या स्तुति करने के लिए प्रयोग में लिया जाता है | इसका स्मरण प्रत्येक दिन सुबह या शाम संध्याकाल में करना फलदायी रहता है | और इस मंत्र के नित्य प्रयोग से घर में शांति बनी रहती है, व पारिवारिक क्लेशो से छुटकारा प्राप्त होता है ऐसा शास्त्रों में विदित है |
(जय श्रीकृष्ण)
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