!! गणपति वंदना (मंत्र) !!
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,
Vighneshvaray Varday Surpriyay
Lambodar Sakalaay Jagdvitaay |
Gajaanan Shrutiyagyavibhushitaay
Gourisutaay Gannath Namon Namste ||1||
वक्रतुण्ड महाकाय: सूर्यकोटि समप्रभ: |
निर्विघ्नं कुरु मे देवो सर्वकार्येषु सर्वदा ||2||
In English :-
Vakratund Mahakaay: Suryakoti Samprabh: |
Nirvighna Kuru Me Devo Sarvakaryeshu Sarvada ||2||
Ganesha |
भगवन श्रीगणपति की स्तुतियाँ या मंत्र सभी को विघ्न विनाशक की दृष्टि से देखा जाता है और भगवान गणेश भी विघ्नेश, विघ्नविनाशक, गजानन, लम्बोदर आदि नामों से जाना जाता है | इन स्तुतियों या मंत्रो का जाप करने वाले भक्त के सारे विघ्न या संकट का निराकरण हो कटा है इसमें कोई संशय नहीं है |
भगवान श्री गणेश को प्रथम पूजनीय देवता भी मानते है इसलिए जब भी कोई नया कार्य या व्यापार का शुभारंभ करना हो तो भगवन गणेश की पूजा अर्चना दिए गए मंत्र “ वक्रतुंड महाकाय...” से करना चाहिए, और श्री भगवान को स्मरण करते हुए ही नया काम प्रारम्भ करना चाहिए |
आपने अपने रोजमर्रा के जीवन में कई बार सुना होगा कि “श्रीगणेश करना” जिसका अर्थ होता है कि कोई नया कार्य प्रारम्भ करना और इन मंत्रो को उच्चारित करने या स्मरण करने का विधान होता है, संपूर्ण विधि विधान बिना मंत्र का प्रभाव व्यर्थ रह जाता है |
इसलिए सभी को चाहिए की आत्म और शरीर शुद्धि बिना मन्त्रों का उच्चारण नहीं करना चाहिए, भगवान गजानन के इन मन्त्रों का रोज ध्यान या जप करने वाले के कभी विपत्ति या पारिवारिक क्लेश नहीं होता है |
(श्रीगणेशाय नमः)
No comments:
Post a Comment