Sunday, 17 November 2013

beejakshara mantra Methods of Sankalp (Resolve) For Worship

पूजा-पाठ करने से पहले संकल्प करने की विधि

 किसी भी पूजा पाठ, अनुष्ठान या जाप करने से पहले संकल्प करना अति आवश्यक होता है, और बिना संकल्प के शास्त्रों में पूजा अधूरी मानी गयी है | अत: आज मैं इस विषय पर चर्चा कर रहा हूँ कि, वैष्णव संध्या में संकल्प कैसे लिया जाता है |          

 
                                                संकल्प करे:- दाहिने हाथ में जल लेकर बोले-
  
ओउमतत्सदध्ये तस्य ब्राह्मो ह्नी द्वितीय परर्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भरतखंडे आर्यावर्त अंतर्गत देशे वैवस्त मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथम चरने श्री विक्रमार्क राज्यदमुक संवत्सर.........अमुक शके......, ईश्वी सत्र ......,अमुक अयन उतरायण/ दक्षिण.....अमुक ऋतु.............
मासे ..... पक्षे ..... तिथि ......वार..... दिनांक........... अपना नाम.......
अपनी गोत्र ........मम कायिक वाचिक मानसिक सांसर्गिक दुविधा निवारण श्रीराधासर्वेश्वर मंत्र (अथवा आप जिस मंत्र का जाप करे उसका नाम) सन्ध्योपासनं करिष्ये | ऐसा कहकर जल छोड दे |

आचमन:- अब जल लेकर तीन बार आचमन करते हुये निम्न मन्त्र बोले

1. ओउम केशवाय नमः |
2. ओउम नारायणाय नमः |
3. ओउम माधवायनमः |

अब पांच बार प्राणायाम करे :- बाये श्वर से श्वास लें व दाहिने श्वर से निकले व वापस दाहिने श्वर से श्वास ले अंदर रोके बाये से निकले  इसको पांच बार करे | यह अनुलोम विलोम प्राणायाम अवश्य करें |

अघमर्षण:- दाहिने हाथ में जल लेकर बायें से ढककर उसको तीन बार मूल मन्त्र बोलकर ‘अस्त्राय फट्’बोले और जल को अपने बाएँ भाग में छोड दे |

मार्जन :- बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अंगुलियों निम्न मंत्र बोलकर शरीर के अंगों पर छींटे देवें –

ओमं दामोदराय नम: शिरसि | ओउमं संकर्षणाय नम : मुखे |
ओउमं वासुदेवाय नम:, ओउमं प्रद्युम्नाय नम: घ्रणयो: |
ओउमं अनिरुद्धाय नम:, ओउमं पुरुषोत्तमाय नम: नेत्रोयो: |
ओउमं अधोक्षजाय नम:, ओउमं नृसिंहाय नम: श्रोत्रयो: |
ओउमं अच्युताय नम: , ओउमं जनार्दनाय नम: हृदये |
ओउमं हरये नम: , ओउमं विष्णवे नम: हस्तयो: |
ओउमं उपेन्द्राय नम: सर्वांगे इति | 

भूत शुद्धि :- दाहिने हाथ में जल या आचमनी में जल लेकर मंत्र बोलें –

ओउमं अध्य श्री मत्सर्वेश्वर कृष्ण आराधन
योग्यता सिध्यर्थं भूत शुद्धिमह करिष्ये |

इस वाक्य धारा से संकल्प करके जल छोड दे |

अब निम्न श्रीगोपाल गायत्री द्वारा करन्यास, अंग न्यास करें |

|| करन्यास ||

ओउमं गोपालाय – अंगुष्ठाभ्यां नम: |
विद्महे – तर्जनीभ्यां नम: | 
गोपी वल्लभाय – मध्यमाभ्यां नम: |
धीमहि – अनामिकाभ्यां नम: | 
तन्नो: कृष्ण:- कनिष्ठिकाभ्यां नम: |
प्रचोदयात – करतल करपृष्ठाभ्यां नम: |     
                                                                                                                                                                                                                                                 
||हृदयादिन्यास||

ओउमं गोपालाय – हृदयाय नम: |
विद्महे – शिरसे स्वाहा | 
गोपी वल्लभाय – शिखायै वषट  |
धीमहि – कवचायहुम |
तन्नो: कृष्ण: - नेत्रत्रयाय वौषट |
प्रोचोदयात –अस्त्राय फट |
               
गायत्री आवाहन – अपने दोनों हाथ जोड़कर बोलें -

आगच्छ वरदे देवि , त्रिपदे कृष्ण वादिनी |
गायत्री छन्दसां मात: कृष्ण योनि नमो अस्तु ते ||
                 
                                                                    श्री गोपाल गायत्री 
ओउमं गोपालाय विद्महे गोपी वल्लभाय धीमहि | 
तन्नो: कृष्ण: प्रचोदयात ||

इस विधि से किसी भी सम्प्रदायों के अनुयायी अपने गुरु मंत्र व इष्ट का ध्यान करके कर सकते हैं |
इस तरह संकल्प करके विधि विधान से पूजा या पाठ आदि करने से पूजा का फल आपको ही प्राप्त होता है |

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