कृष्ण गायत्री मंत्र
गायत्री मन्त्रों का सभी प्रकार के मन्त्रों में अहम स्थान है | इसी तरह २४ गायत्री में से कृष्ण गायत्री मंत्र भी श्री कृष्ण भगवान की स्तुति और आराधना हेतु प्रयुक्त किया जाता है | कृष्ण गायत्री मंत्र का प्रत्येक यज्ञ या शुभ कर्मों पर आहुति देने से सर्वत्र शांति और सुख बना रहता है |
In Hindi:-
In Hindi:-
ओम् देवकी नन्दनाय विद्मिहे वासुदेवाय धीमहि |
कृष्णं तन्नो: प्रचोदयात ||1||
ओम् दामोदराय विद्मिहे रुक्मणि वल्लभाय धीमहि |
तन्नो: कृष्णं प्रचोदयात ||2||
ओम् क्लीं कृष्णाय नमः
इति मूल मंत्र |
In English:-
Ohm Devaki Nandanay Vidmahe Vasudevay Dhimahi |
Krishnam Tanno: Prachodayat ||1||
Ohm Damodaray Vidmahe Rukmani Vallabhay Dhimahi |
Tanno: Krishnam Prachodayat ||2||
Ohm Kleem Krishnay namah:
Iti Mul Mantra |
देवकी और वासुदेव के पुत्र और तीनो लोकों में पूज्य भगवान श्री कृष्ण के भक्तों को इस कृष्ण गायत्री मंत्र और भगवान कृष्ण के मूल मंत्र का जाप करना चाहिए |
मूल मंत्र "ओम् क्लीं कृष्णाय नमः" की जगह भक्तजन नारायणाय नमः , गोपीजनवल्लभाय नमः, और वासुदेवाय नमः आदि का प्रयोग कर सकते है |
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