हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए
इस कलियुग के अग्रणी देवों में हनुमान जी का नाम सर्वप्रथम आता है, तथा इन्हें कौन नहीं जानता | श्री रामभक्त के रूप में तीनों लोकों में विख्यात हनुमान जी अद्भुत बुद्धि, शक्ति और दया के धनी है | हनुमान जी के बारे में धारणा यह है कि जहाँ भी उनके प्रभु श्री राम का कीर्तन या नाम का गुणगान होता है, वहाँ ये रामदूत अवश्य उपस्थित होते है | इनको राम नाम अत्यंत प्रिय है | अतएव इनके भक्तों को चाहिए कि वें हनुमान जी को प्रसन्न करने हेतु श्री राम नाम का सहारा लेकर पवनपुत्र कि स्तुति करें |स्तुति मंत्र इस प्रकार है :-
In Hindi:-
सुमिरि पवनसुत पावन नामू |
अपने बस करि राखे रामू ||
अपने बस करि राखे रामू ||
In English:-
Sumiri Pavansut Pavan Naamu |
Apne Bas Kari Rakhe Raamu ||
Apne Bas Kari Rakhe Raamu ||
इस चौपाई का ध्यान करते हुए हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए, हनुमान जी श्री राम के परम भक्त थे, इसलिए कहा गया है कि हे ! मारुति जो पवनसुत के इस पावन नाम से भी जाने जाते हो, और श्री राम को आपने अपने प्रेम और अगाध भक्ति से अपने वश में कर रखा है,
तथा इस मंत्र को भी स्मरण करें |
श्री रामचरितमानस में भगवान राम ने अपने अनुज भरत से यह कहा था कि " भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं " अर्थात श्री भगवान ने भी हनुमान जी कि स्वामी भक्ति देखकर कहा कि हम हनुमान का ऋण कभी भी नहीं चुका सकते है, और यह दी गई चौपाई भी रामचरितमानस से है, और इसका ध्यान व चिंतन करने से हनुमानजी प्रसन्न होते है |
तथा इस मंत्र को भी स्मरण करें |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ||
श्री रामचरितमानस में भगवान राम ने अपने अनुज भरत से यह कहा था कि " भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं " अर्थात श्री भगवान ने भी हनुमान जी कि स्वामी भक्ति देखकर कहा कि हम हनुमान का ऋण कभी भी नहीं चुका सकते है, और यह दी गई चौपाई भी रामचरितमानस से है, और इसका ध्यान व चिंतन करने से हनुमानजी प्रसन्न होते है |
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