Friday 1 November 2013

beejakshara mantra Gayatri Mantra And Gayatri Mahima

गायत्री मंत्र (Gayatri-Mantra)

Gayatri Mata
In Hindi:-

ओम् भूर्भुव: स्वः तत्स वितुर्वरेर्ण्यं !
भर्गो देवस्य धीमहि धियो: योनः प्रचोदयात !!

In English:-
Om Bhurbhuv: Sva: Tatsa Viturvarernyam !
Bhargo Devasya Dhimhi Dhiya: Yonah: Prachodayat !!

भावार्थ:- पृथ्वी अन्तरिक्ष और स्वर्ग पर्यंत जो सविता (सूर्य) श्रुतियों में प्रसिद्द है वह प्रकाशमान परमात्मा हमारी बुद्धि को सत्कार्य में प्रेरित करें | 

इस गायत्री मंत्र का ध्यान करने से तन एवं मन दोनों की शुद्धि होती है, और नित्य जप करने वालों को सुख व यश की प्राप्ति होती है | समस्त वैदिक मंत्रो में गायत्री मंत्र का स्थान विशेष है इसलिए इसे गायत्री महामंत्र भी कहते है | चौबीस अक्षर के इस महामंत्र मे सारे ब्रह्माण्ड का निवास है | यह मंत्र एक तरह से औषधि का काम करता है अर्थात जो कोई भी इस महामंत्र का प्रतिदिन सांय अथवा प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर स्नानादि से निवृत होकर इस मंत्र का विधिपूर्वक जाप करता है तो उसके सभी कष्ट और आपदाएं दूर हो जाती है | और इस महामंत्र के प्रभाव से सुख सम्पति का आगमन होता है | तथा इस लोक में तो प्राणी सुखी रहता ही है साथ ही साथ परलोक में भी भगवती गायत्री की कृपा से उस प्राणी को दिव्य स्थान की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है |

गायत्री मंत्र का प्रयोग अनिष्ट निवारण हेतु, जरा-व्याधियो से निवारण हेतु, ग्रह शांति हेतु तथा गायत्री हवन की विधि:-
Successful Gayatri Mantras

वेदों और पुरानों में गायत्री को वेदमाता का दर्जा प्राप्त है अत: ब्रह्मयज्ञ में ११ बार गायत्री मंत्र का जाप करने से ही वेदाधिकार प्राप्त हो जाता है ऐसा माना जाता है | इसलिए प्रत्येक प्राणी को तन मन से माता भगवती गायत्री का जप करना चाहिए और अपना जीवन सार्थक बनाना चाहिए | 

Click here to watch the video of "Gayatri-Mantra"

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